27 Jul 2016

Tourist Place | Delhi, Humayun's Tomb

हुमायूँ का मकबरा




Delhi-Humayun-Tomb
हुमायूँ का मकबरा के बारे में बता देखी यह भारत की राजधानी दिल्ली के पुराने किले के निकट निजामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा मार्ग के निकट स्थित है। हुमायूँ का मकबरा इमारत परिसर मुगल वास्तुकला से प्रेरित मकबरा स्मारक है।

हुमायूँ का मकबरा की बात करे तो गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी किले में हुआ करती थी और नसीरुद्दीन (1268-1287) के पुत्र तत्कालीन सुलतान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है और इसमें हुमायूँ की कबर सिहत कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रे हैं।

हुमायूँ का मकबरा के बारे में और जानते हैं | यह समूह विश्व धरोहर घोसित है एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे में वही चारबाग शैली है, जिसने भविष्य में ताजमहल को जन्म दिया। यह मकबरा हुमायूँ की विधवा बेगम हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार 1562 में बना था। इस भवन के वास्तुकार सैयद मुबारक इब्र मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घियथुद्दीन थे जिन्हे अफगानिस्तान के हेरात शहर से विशेस रूप से बुलवाया गया था।

हुमायूँ का मकबरा की बात करे तो यह इमारत लगभग आठ वर्ष में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण बनी। यहाँ सर्वप्रथम लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग हुआ था। 1993 में इस इमारत समूह को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

इसके अलावा यहाँ पर मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है। हुमायूँ की कब्र के अलावा उसकी बेगम हमीदा बानो तथा बाद के सम्राट शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह और कई उत्तराधिकारी मुगल सम्राट जहांदर शाह, फर्रुखिशयार, रफी उल-दर्जत, रफी उददौलत एवं आलमगीर द्वितीय आदि की कब्रे स्थित है।

इस इमारत में मुगल स्थापत्य में एक बड़ा बदलाव दिखा, जिसका प्रमुख अंग चारबाग शैली के उद्यान थे। ऐसे उद्यान भारत में इससे पूर्व कभी नहीं दिखे थे और इसके बाद अनेक इमारतों का अभिन्न अंग बनते गये। इसके पूर्व निर्मित हुमायूँ के पिता बाबर के काबुल स्थित मकबरे बाग ए बाबर से एकदम भिन्न था। बाबर के साथ ही सम्राटों को बाग में बने मकबरों में दफन करने की परंपरा आरंभ हुई थी। अपने पूर्वज तैमूर लंग के समरकंद में बने मकबरे पर आधारित ये इमारत भारत में आगे आने वाली मुगल स्थापत्य के मकबरों की प्रेरणा बना।

हुमायूँ का मकबरा की बात करे तो यमुना नदी के किनारे मकबरे के लिए इस स्थान का चुनाव इसकी हजरत निजामुद्दीन (दरगाह) से निकटता के कारण किया गया था। संत निजामुद्दीन दिल्ली के प्रसिद्ध सूफ़ी संत हुए और वो इन्हें दिल्ली के शासकों द्वारा काफ़ी माना गया है। इनका तत्कालीन आवास भी मकबरे के स्थान से उत्तर-पूर्व दिशा में निकट ही निजामुद्दीन औलिया में स्थित था। बाद के मुगल इितहास में मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र ने तीन अन्य  राजकुमारों सहित 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां शरण ली थी। बाद में उन्हे ब्रिटिश सेना के कप्तान हॉडसन ने यहीं से गिरफ्तार किया था ।

हुमायूँ का मकबरा की बात करे तो यह देखने में बहुत ही खूबसूरत लगता है | इसके चारो ओर से बगीचा है और घूमने के लिए तो ये बहुत ही अच्छी जगह है | इसके अलावा यहाँ देखने और मुगलो के बारे में जानने के लिए बहुत कुछ है |