कुतुब मीनार
कुतुब मीनार के बारे में बता दे की यह भारत की राजधानी दिल्ली शहर के महरौली भाग में स्थित है। पत्थरो से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। यह मीनार इस्लाम और हिन्दू स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है। कुतुब मीनार घूमने के लिए बहुत अच्छी जगह है। यहाँ पर प्रतिदिन हजारो की तादात में पर्यटक आते है। कुतुब मीनार के अलावा मस्जिद, अला-ई-मीनार और अशोक स्तंभ भी है।
कुतुब मीनार की बात करे तो इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर है। यह लाल और धूसर बलुआ पत्थरो से बना है। इस मीनार का आधार का व्यास 14.3 मीटर और शिखर का व्यास 2.75 मीटर है। मीनार के चारो ओर बने आहते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने है। यह परिसर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया गया है।
कुतुब मीनार के जानते हैं | दिल्ली के प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, ने कुतुब मीनार का निर्माण सन 1193 में आरम्भ करवाया, लेकिन केवल इसका आधार ही बनवा पाया। इसके बाद उसके उत्तराधिकारी शम्सुद्दीन इल्तुतमिश ने उपरी तीन मंजिले और बनवाई। मीनार के आसपास एक ऊँची दिवार है जिसके बाहरी गलियारे को पत्थरो से निर्मित बड़े स्तम्भों से सहारा दिया गया था।
इस मीनार को 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पाँचवी और अंतिम मंजिले बनवाई । ऐबक से तुगलक तक स्थापत्य एवं वास्तु शैली में बहुत बदलाव किये और यहाँ स्पष्ट देखा जा सकता है। मीनार को लाल बलुआ पत्थरो से बनाया गया है, जिस पर कुरआन की आयतों की एवं फूल बेलो की महीन नक्काशी की गई है। इस मीनार के निर्माण उद्देश्य के बारे में कहा जाता है कि यह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद से अजान देने, निरिक्षण एवं सुरक्षा करने या इस्लाम की दिल्ली पर विजय के प्रतिक के रूप में बनी ।
कुतुब मीनार के बारे में रोचक बाते जानते हैं | कुछ पुरात्तव शास्त्रियों का कहना है कि इसका नाम प्रथम तुर्की सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पड़ा, वहीं कुछ यह मानते है कि इसका नाम बग़दाद के प्रसिद्ध सन्त कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर है, जो भारत में वास करने आये थे। इल्तुतमिश उनका बहुत आदर करते था, इसलिए कुतुब मीनार को यह नाम दिया गया। कुतुब मीनार पर अंकित नागरी और फारसी अभिलेखों से प्रतीत होता है कि सन 1326 और 1368 में बिजली गिरने से इसे दो बार नुकसान हुआ था। पहले नुकसान के बाद मुहम्मद तुगलक ने उसने 1332 में इसकी मरम्मत कराई। दूसरे नुक्सान के बाद फिरोज शाह तुगलक ने इसकी मरम्मत कराई थी । बाद में 1503 में सिकंदर लोदी ने भी उपर की मंजिलों की मरम्मत कराई थी।
कुतुब मीनार की खूबसूरती जो देखने में बहुत ही लाजवाब है | इसे देखने और जानने के लिए प्रतिदिन हजारो की तादाद में लोग यहाँ आते है | घूमने के लिए तो बहुत अच्छी जगह है और यह एक पर्यटक स्थल भी है |