मनाली
मनाली भारत के उत्तरी हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है। एक उच्च ऊंचाई वाला हिमालयी रिसॉर्ट शहर है। जो की कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है। मनाली शहर की बात करे तो मनाली शहर का नाम मनु के नाम पर पड़ा है। मनाली शब्द का शाब्दिक अर्थ "मनु का निवास-स्थान" होता है। पौराणिक कथा के मुताबिक जल-प्रलय से दुनिया की तबाही के बाद मनुष्य जीवन को दुबारा निर्मित करने के लिए साधु मनु अपने जहाज से यही पर उतरे थे। मनाली को "देवताओं की घाटी" के रूप में जाना जाता है। पुराने मनाली गांव में ऋषि मनु को समर्पित एक अति प्राचीन मंदिर हैं।
मनाली का इतिहास
मनाली के इतिहास के बारे में बात करे तो मनाली और उसके आस-पास के क्षेत्र भारतीय संस्कृति और विरासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसे सप्तर्षि या सात ऋषियों का घर बताया गया है। ब्रिटिश राज ने सेब के पेड़ और ट्राउट (एक प्रकार की मछली) की शुरुआत की जो मनाली के पेड़-पौधों एवं जीवों में बिल्कुल नहीं पाई जाती थीं। ऐसा कहा जाता है कि जब सेब के पेड़ों का रोपण हुआ तो इतने ज्यादा सेब फलने लगते थे कि उनकी टहनियां वजन को न सह पाने के कारण गिर जाती थी। आज भी यहां के अधिकांश निवासियों के लिए बेर और नाशपाती के साथ-साथ सेब भी इनके आय के सबसे बड़े माध्यम हैं। 1980 के शेष दशक में कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद के बाद मनाली के पर्यटन को जबरदस्त बढ़ावा मिला | जो गांव कभी सुनसान रहा करता था वो अब कई होटलों और रेस्तरों वाले एक भीड़-भाड़ वाले शहर में परिवर्तित हो गया। यहां का हडिम्बा मंदिर 1533 ई. में हिंदू धर्म की देवी हडिम्बा को समर्पित करके बनाया गया था। हडिम्बा, हडिम्ब भगवान की बहन थीं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर को बनवाने वाले राजा ने मंदिर बनाने वाले कलाकारों के सीधे हाथ काट दिए थे ताकि वह ऐसा सुंदर मंदिर कही और न बना सकें। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनाली का नाम मनु से उत्पन्न हुआ है जिन्हे सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रहमा ने बनाया था। ऐसा माना जाता है कि मनु इसी जगह पर जीवन के सात चक्रों में बने और मिटे थे। मनाली की हिंदू धर्म में काफी मान्यता है जिसे जीवन के 7 चक्रों रिवर्स सेज से सम्बन्धित माना जाता है।
आकर्षण केंद्र
मनाली की बात करे तो यह पर्यटकों की पहली पसंद है और ऐसा हिल स्टेशन है जहां पर्यटक सबसे ज्यादा आते है। मनाली में आप पर्यटकों के बीच यहां के सुंदर दृश्यों, गार्डन, पहाड़ो, और सेब के बागों के लिए जाना जाता है। यहां के बागों में लाल और हरे सेब काफी मात्रा में पैदा होते है। यहां आने पर पर्यटक हिमालय नेशनल पार्क, हिडिम्बा मंदिर, सोलांग घाटी, रोहतांग पास, पनदोह बांध, पंद्रकनी पास, रघुनाथ मंदिर और जगन्ननाथी देवी मंदिर देख सकते हैं। मनाली की सोलांग घाटी 300 मीटर की ऊंचाई वाली है जहां हर साल सर्दियों में विंटर स्किईंग फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। वहीं रोहतांग पास एक पहाड़ी पिकनिक स्पॉट है जिसे जिपावेल रोड़ के नाम से भी जाना जाता है। यहां आकर पर्यटक कई प्रकार की साहसिक गतिविधियों जैसे - पैराग्लाडिंग, पहाड़ो पर बाइक चलाना, और स्किईंग को कर सकते है। यहां से पूरे मनाली की भूमि, ग्लेशियर और पर्वतों का खुबसूरत व्यू देखा जा सकता है। मनाली में आने वाले धार्मिक पर्यटक व्यास कुंड अवश्य आएं, इस कुंड का वर्णन महाभारत में ऋषि व्यास के संदर्भ में किया गया है। माना जाता है कि ऋषि व्यास ने इसी कुंड में स्नान किया था। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से त्वचा सम्बंधी समस्त रोग दूर हो जाते हैं। मनाली में स्थित गांव वशिष्ठ सोपस्टोन से बना हुआ है।
यह गांव पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, यहां स्थित मंदिर सैंडस्टोन से बने हुए है। इसके अलावा, यहां कई प्राकृतिक झरने भी स्थित हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, लक्ष्मण जी जो भगवान राम के भाई थे, ने यहां एक सल्फर झरने का निर्माण कर दिया था। यहां आकर पर्यटक काला गुरू और रामा मंदिर भी देख सकते हैं। मनाली आने वाले पर्यटकों को हिमालयन नेशनल पार्क में दिलचस्पी लेनी चाहिए। इस पार्क में 300 से ज्यादा प्रकार के जीव जन्तु है। यह अभयारण्य विलुप्त पक्षियों की अनेक प्रजातियों और पश्चिमी ट्रागोपेन के लिए खासा प्रसिद्ध है। पार्क में 30 स्तनधारी प्रजाति भी पाई जाती हैं।
मनाली में जगन्ननाथी देवी मंदिर को आज से 1500 साल पहले बनवाया गया था जो माता भुवनेश्वरी देवी को समर्पित है। यह मंदिर मनाली का मुख्य धार्मिक केंद्र है। जगन्नाथी देवी को भगवान विष्णु की बहन माना जाता है। यहां का अन्य धार्मिक केंद्र रघुनाथ मंदिर भी है जिसे यहां आने वाले सभी पर्यटक और श्रद्धालु घूमने आएं। यह मंदिर भगवान रघुनाथ जी को समर्पित है। इस मंदिर से मनाली के सभी पहाड़ो का एकस्वरूप दिखता है और भारत के उत्तर दिशा में स्थित हिमालय की तलहटी में रहने वाले लोगों के समूह में एक व्यापक सामान्यीकरण भी होता है, यहां के मंदिर की वास्तुकला पिरामिड आकार की है। यहां होने वाली साहसिक गतिविधियों के कारण भी जाना जाता है, यहां कई साहसिक गतिविधियों का आयोजन समय - समय पर किया जाता है जैसे - पर्वतारोहण, माउंटेन बाइकिंग, नदी राफ्टिंग, ट्रैकिंग, जॉरविंग और पैराग्लाइडिंग। मनाली के पास में रोहतांग दर्रा, देव डिव्वा बेस कैंप, पिन नार्वती पास, बाल झील आदि है जो पर्यटकों को अवश्य भाएंगे। मनाली में माउंटेन बाइकिंग भी की जा सकती है लेकिन यहां बाइकिंग करने का अच्छा और उचित समय सितम्बर के महीने में होता है। इस दौरान सड़को पर बर्फ जमा नहीं होती है और गाड़ी फिसलने का डर नहीं रहता है।
मनाली में आने वाले पर्यटकों को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होगी क्योंकि यह शहर यातायात के सभी साधनों से पूर्णत: जुड़ा हुआ है। यहां पर्यटक हवाई यात्रा, रेल यात्रा या सड़क यात्रा करते हुए आ सकते हैं। यहां का भुटार एयरपोर्ट 50 किमी. की दूरी पर स्थित है जो घरेलू एयरपोर्ट है। विदेशों से आने वाले पर्यटक दिल्ली के रास्ते से आ सकते हैं। दिल्ली से मनाली के लिए भी उड़ान भरी जाती है। अन्य साधनों से भी दिल्ली से मनाली तक आया जा सकता है। मनाली की नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है जो शहर से 165 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां से देश के बड़े-बड़े शहरों जैसे - चंडीगढ़, शिमला, नई दिल्ली और पठानकोट के लिए ट्रेन मिल जाती हैं। वही राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए घूमने और भ्रमण के लिए राज्य सरकार व हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा कई बसें चलाई गई हैं जो राज्य के अंदर ही नहीं बल्कि नजदीकी शहरों में भी जाती हैं। मनाली का मौसम साल भर काफी सुखद रहता है लेकिन पर्यटक यहां मार्च से जून के दौरान आना ज्यादा पसंद करते है।
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