गवरमेंट बॉटनिकल गार्डन

गवरमेंट बॉटनिकल गार्डन की बात करे तो यह घूमने के लिए और देखने के लिए बहुत ही जबर्दस्त जगह है | तो चलिए गवरमेंट बॉटनिकल गार्डन के बारे में जानते हैं | इस गार्डन में 2000 से भी अधिक विदेशी प्रजाति के पेड़-पौधे हैं। इन उद्यानों को घूमने के लिए हरसाल लाखों पर्यटक आते है

मनाली

मनाली भारत के उत्तरी हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित है। एक उच्च ऊंचाई वाला हिमालयी रिसॉर्ट शहर है। जो की कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है। मनाली शहर की बात करे तो मनाली शहर का नाम मनु के नाम पर पड़ा है। मनाली शब्द का शाब्दिक अर्थ "मनु का निवास-स्थान" होता है।

विक्टोरिया मेमोरियल हॉल

विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के बारे में बता दे की यह भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। यह वर्तमान में एक संग्रहालय और एक पर्यटन आकर्षण के रूप में कार्य करता है। विक्टोरिया मेमोरियल हॉल का निर्माण रानी विक्टोरिया के 25 साल का शासन काल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में किया गया था।

हाजी अली दरगाह

हाजी अली दरगाह भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। हाजी अली के बारे में बता दे की यह एक धनी मुस्लिम व्यापारी, जो हाजी अली शाह बुखारी नामक एक संत द्वारा बनाया गया था। उन्होंने कहा कि मक्का की तीर्थयात्रा पर तैयार करने से पहले सभी सांसारिक सुखों का त्याग दिया।

मजोरदा बीच

मजोरदा बीच के बारे में बता दे की यह भारत के गोवा राज्य में स्थित है। यह मंडगांव रेलवे स्टेशन से करीब 11 किलोमीटर की दुरी पर है। मजोरदा समुद्र तट से कम दूरी पर Arossim, Benaulim, Velsao, Varca, पोंडा, Salcette और Bogmalo समुद्र तट जो गोवा के अन्य लोकप्रिय स्थलों में से एक है।

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28 Oct 2016

Sharmaji good story and an old woman on the true story in hindi

अच्छी कहानी और सच्ची कहानी



ऑफिस से निकल कर शर्माजी ने स्कूटर स्टार्ट किया ही था कि उन्हें याद आया, पत्नी ने कहा था 1 दर्जन केले लेते आना। 
तभी उन्हें सड़क किनारे बड़े और ताजा केले बेचते हुए एक बीमार सी दिखने वाली बुढ़िया दिख गई। 
वैसे तो वह फल हमेशा "राम आसरे फ्रूट भण्डार" से ही लेते थे, पर आज उन्हें लगा कि क्यों न बुढ़िया से ही खरीद लूँ। 

उन्होंने बुढ़िया से पूछा, केले कैसे दर्जन बेच रही हैं। बुढ़िया बोली, बाबूजी 20 रुपये दर्जन। शर्माजी बोले, १५ रूपए दूंगा। 
बुढ़िया ने कहा, 18 रुपये दे देना। दो पैसे मैं भी कमा लूंगी। 
शर्माजी बोले, 15 रुपये लेने है तो बोल, बुढ़िया मना कर दी। शर्माजी बिना कुछ कहे चल पड़े और "राम आसरे फ्रूट भण्डार" पर आकर केले का भाव पूछा तो वह बोला २८ रुपये दर्जन है। 

बाबूजी कितने दर्जन दूँ ?
शर्माजी बोले, 5 साल से फल तुमसे ही ले रहा हूँ, ठीक से भाव लगाओ। 
तो उसने सामने लगे बोर्ड की ओर इशारा कर दिया। 
बोर्ड पे लिखा था, मोल भाव करने वाले माफ़ करें। 
शर्मा जी को उसके यह व्यवहार बहुत बुरा लगा, उन्होंने कुछ सोचकर स्कूटर को वापस ऑफिस की ओर मोड़ दिया। 

सोचते सोचते वह बुढ़िया के पास पहुँच गए। 
बुढ़िया ने उन्हें पहचान लिया और बोली, बाबूजी केले दे दूँ, पर भाव 18 रुपये से कम नही लगाऊँगी। 
शर्माजी मुस्कुरा कर कहा, एक नही दो दर्जन दे दो और भाव की चिंता मत करो। 

बुढ़िया का चेहरा ख़ुशी से दमकने लगा। केले देते हुए बोली। बाबूजी मेरे पास थैली नही है। फिर बोली, एक टाइम था जब मेरा आदमी जिन्दा था, तो मेरी भी छोटी सी दूकान थी। सब्जी, फल सब बिकता था। 

आदमी की बिमारी में दूकान चली गई। आदमी भी नही रहा। अब खाने के भी लाले पड़े हैं। किसी तरह पेट पाल रही हूँ। कोई औलाद भी नही है, जिसकी ओर मदद के लिए देखूं। 
इतना कहते कहते बुढ़िया के आँखों में आंसू आ गए। 

शर्माजी ने 50 रुपये का नोट बुढ़िया को दे दिया तो बोली, बाबूजी मेरे पास छुट्टे नही है। 
शर्माजी बोले, चिंता मत करो, रख लो,अब मैं तुमसे ही फल खरीदूंगा, और कल मैं तुम्हे 500 रुपये दूंगा। धीरे धीरे चूका देना और परसों से बेचने के लिए मंडी से दूसरे फल भी ले आना। 

बुढ़िया कुछ कह पाती उसके पहले ही शर्माजी घर की ओर रवाना हो गए। घर पहुँच कर उन्होंने पत्नी से कहा, न जाने क्यों हम हमेशा मुश्किल से पेट पालने वाले, ठेला पर सामान बेचने वालो से मोल भाव करते हैं किन्तु बड़ी दुकानों पर मुंह मांगे पैसे दे आते है। 

शायद हमारी मानसिकता ही बिगर गई है। गुणवत्ता के स्थान पर हम चकाचौंध पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। 
अगले दिन शर्मा जी ने बुढ़िया को 500 रुपये देते हुए कहा, लौटाने की चिंता मत करना। 
जो फल खरीदूंगा, उनकी कीमत से ही चूक जाएंगे। 

जब शर्माजी ने ऑफिस में ये किस्सा बताया तो सबने बुढ़िया से ही फल खरीदना प्रारम्भ कर दिया। 
तीन महीने बाद ऑफिस के लोगों ने स्टाफ क्लब की ओर से बुढ़िया को एक हाथ ठेला भेंट कर दिया। बुढ़िया अब बहुत खुश है। उचित खान पान के कारण उसका स्वास्थ्य भी पहले से बहुत अच्छा है |

हर दिन शर्माजी और ऑफिस के दूसरे लोगों को दुआ देती नही थकती। 
शर्माजी के मन में भी अपनी बदली सोच और एक असहाय निर्बल महिला की सहायता करने की संतुष्टि का भाव रहता है। 

जीवन में किसी बेसहारा की मदद करके देखो। 
हमेशा अपने जीवन में खुश रहोगे।