जिंदगी का कड़वा सच
- एक बार एक संत ने अपने दो भक्तो को बुलाया और कहा आप को यहाँ से पचास कोस जाना है।
- एक भक्त को एक बोरी खाने के समान से भर कर दी और कहा जो लायक मिले उसे देते जाना।
- और एक को खाली बोरी दी उससे कहा रास्ते में जो उसे अच्छा मिले उसे बोरी में भर कर ले जाए।
- दोनों निकल पड़े जिसके कंधे पर समान था वो धीरे चल पा रहा था।
- खाली बोरी वाला भक्त आराम से जा रहा था।
- थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईट मिली उसने उसे बोरी में डाल लिया।
- थोड़ी दूर चला फिर ईट मिली उसे भी उठा लिया।
- जैसे जैसे चलता गया उसे सोना मिलता गया और वो बोरी में भरता हुआ चल रहा था।
- और बोरी का वजन बढ़ता गया उसका चलना मुश्किल होता गया और साँस भी चढ़ने लग गई।
- एक एक कदम मुश्किल होता गया।
- दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया रास्ते में जो भी मिलता उसको बोरी में से खाने का कुछ समान देता गया धीरे धीरे बोरी का वजन कम होता गया।
- और उसका चलना आसान होता गया।
- जो बाँटता गया उसका मंजिल तक पहुँचना आसान होता गया।
- जो इकट्ठा करता रहा वो रास्ते में ही दम तोड़ गया।
- दिल से सोचना हमने जीवन में क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया हम मंजिल तक कैसे पहुँच पाएँगे।
- जिंदगी का कड़वा सच
- आप को 60 साल की उम्र के बाद कोई यह नही पूछेंगा की आप का बैंक बैलेंस कितना है या आप के पास कितनी गाड़ियाँ हैं।
- लोग आपसे दो ही प्रश्न पूछेंगे।
- आप का स्वास्थ्य कैसा है।
- आप के बच्चे क्या करते हैं।