19 Nov 2016

Biography of Mahatma Gandhi-Famous People

महात्मा गांधी जीवनी



Mahatma-Gandhiमहात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 में पोरबंदर शहर में हुआ था। पोरबंदर शहर गुजरात राज्य में परता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। महात्मा गांधी एक प्रमुख भारतीय राजनीतिक नेता थे। जो भारत की आजादी के लिए अभियान चलाया था। भारत में, वह हमारे राष्ट्र पिता 'के रूप में जाने जाते हैं। वो ज्यादातर महात्मा गांधी और बापू के नाम से लोकप्रिय हैं। अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो से स्वतंत्रता दिलाई। उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है। वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती। हर साल 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। 

महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान अर्थात् प्रधान मन्त्री थे। और उनकी माता का नाम पुतलीबाई थी। महात्मा गांधी ने शुरुवाती शिक्षा पोरबंदर शहर में हुई थी। उसके बाद में लंदन में विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह भारत में आकर अपनी वकालत की अभ्यास करने लगे, लेकिन सफल नहीं हुए। उसी समय दक्षिण अफ्रीका से उन्हें एक कंपनी में क़ानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला। उसके बाद वो दक्षिण अफ्रीका चले गए। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी को भारतीयों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। 

आरम्भ में उन्हें प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के लिए ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। उन्होंने अपनी इस यात्रा में कई कठिनाइयों का सामना किया। वहाँ भारतीयों के मुलभुत अधिकारों के लिए लड़ते हुए कई बार जेल भी गए। महात्मा गांधीजी लगभग 20 साल तक दक्षिण अफ्रीका में थे। ये सारी घटनाएँ गान्धी के जीवन में एक मोड़ बन गईं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए गान्धी ने अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न उठाये। वहाँ उन्होंने सरकार विरूद्ध असहयोग आंदोलन संगठित किया। जिस पर गाँधीजी पूरी जिंदगी चले। 

महात्मा गांधी का विवाह 1883 में हुआ था। 13 साल की आयु पूर्ण करते ही उनका विवाह 14 साल की कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया। यह विवाह उनके माता पिता द्वारा तय किया गया था। उस समय उस क्षेत्र में बाल विवाह प्रचलित था। मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं, जो सभी पुत्र थे। हरीलाल गान्धी 1888 में, मणिलाल गान्धी 1892 में, रामदास गान्धी 1897 में और देवदास गांधी 1900 में जन्मे। 1885 में इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया। लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। और इसी साल उनके पिता करमचन्द गन्धी भी चल बसे। 1891 में उनकी पत्नी पुतलीबाई का निधन हो गया। 

महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे। उन्ही की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी। अपनी अदभुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उदभाषित करने वाले, विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे। 1901 में कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया तथा बम्बई में वकालत का दफ्तर खोला। उस समय के कांग्रेस दल के प्रमुख भारतीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले, जो एक सम्मानित नेता थे। गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में चम्पारन और खेड़ा सत्याग्रह, आंदोलन में मिली। 

1920 में असहयोग आंदोलन शुरु किया। गांधी जी ने असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ़ शस्त्र के रूप में उपयोग किया। पंजाब में अंग्रेजी फौजों द्वारा भारतीयों पर जलियावांला नरसंहार जिसे अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है, देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी। 

1921 में महात्मा गांधी जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस.का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया। असहयोग को दूर-दूर से अपील और सफलता मिली जिससे समाज के सभी वर्गों की जनता में जोश और भागीदारी बढ गई। फिर जैसे ही यह आंदोलन अपने शीर्ष पर पहुंचा वैसे फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चोरा, उत्तरप्रदेश में भयानक द्वेष के रूप में अंत हुआ। 10 मार्च, 1922 को महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया। महात्मा गांधी पर राजद्रोह के लिए मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाकर जैल भेद दिया गया। 

1930 में सविनय अवज्ञा आदोलन शुरु हुआ। नमक के उपर कर और नमक बनानेकी सरकार एकाधिकार रद्द की जाये। ऐसी व्हाइसरॉय से मांग की, व्हाइसरॉय ने उस मांग को नहीं माना तब गांधीजी ने नमक का कानून तोड़कर सत्याग्रह करने की ठान ली। 1931 में राष्ट्रिय सभे के प्रतिनिधि बनकर गांधीजी दूसरी गोलमेज परिषद को उपस्थित थे। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय हरिजन संघ की स्थापना की। 1933 में उन्होंने ‘हरिजन’ नाम का अखबार शुरु किया। 1942 में चले जाव आंदोलन शुरु हुआ। ‘करेगे या मरेगे’ ये नया मंत्र गांधीजी ने लोगों को दिया। द्वितीय विश्वयुध्द में महात्मा गांधीजी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिये न लड़ने का आग्रह किया था। जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युद्ध के उपरान्त उन्होंने पुन: स्वतंत्रता आदोलन की बागडोर संभाल ली। अंततः 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई। और 30 जनवरी 1948 में नथुराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या की।