17 Oct 2016

Achhi Baate Padhe Jindagi Ka Karwa Sach

 जिंदगी का कड़वा सच



  • एक बार एक संत ने अपने दो भक्तो को बुलाया और कहा आप को यहाँ से पचास कोस जाना है। 
  • एक भक्त को एक बोरी खाने के समान से भर कर दी और कहा जो लायक मिले उसे देते जाना।
  • और एक को खाली बोरी दी उससे कहा रास्ते में जो उसे अच्छा मिले उसे बोरी में भर कर ले जाए। 
  • दोनों निकल पड़े जिसके कंधे पर समान था वो धीरे चल पा रहा था। 
  • खाली बोरी वाला भक्त आराम से जा रहा था। 
  • थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईट मिली उसने उसे बोरी में डाल लिया। 
  • थोड़ी दूर चला फिर ईट मिली उसे भी उठा लिया। 
  • जैसे जैसे चलता गया उसे सोना मिलता गया और वो बोरी में भरता हुआ चल रहा था। 
  • और बोरी का वजन बढ़ता गया उसका चलना मुश्किल होता गया और साँस भी चढ़ने लग गई। 
  • एक एक कदम मुश्किल होता गया। 
  • दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया रास्ते में जो भी मिलता उसको बोरी में से खाने का कुछ समान देता गया धीरे धीरे बोरी का वजन कम होता गया। 
  • और उसका चलना आसान होता गया। 
  • जो बाँटता गया उसका मंजिल तक पहुँचना आसान होता गया। 
  • जो इकट्ठा करता रहा वो रास्ते में ही दम तोड़ गया। 
  • दिल से सोचना हमने जीवन में क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया हम मंजिल तक कैसे पहुँच पाएँगे। 
  • जिंदगी का कड़वा सच 
  • आप को 60 साल की उम्र के बाद कोई यह नही पूछेंगा की आप का बैंक बैलेंस कितना है या आप के पास कितनी गाड़ियाँ हैं। 
  • लोग आपसे दो ही प्रश्न पूछेंगे। 
  • आप का स्वास्थ्य कैसा है। 
  • आप के बच्चे क्या करते हैं।