बृहदेश्वर मन्दिर, तमिलनाडु
बृहदेश्वर मन्दिर के बारे में रोचक बाते बता दे की यह विश्व में अपनी तरह का पहला एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है। बृहदेश्वर मन्दिर पूरी तरह से ग्रेनाइट निर्मित है। बृहदेश्वर मन्दिर जो तमिलनाडु के तंजौर में स्थित है। इसका निर्माण 1003-1010 ई के बीच में हुआ था। हिंदू देवता शिव को समर्पित मंदिर, भारत का सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ-साथ, भारतीय शिल्प कौशल के आधार स्तम्भों में से एक है।
बृहदेश्वर मन्दिर जो तमिलनाडु के लोकप्रिय मंदिरो में से एक है। इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। बृहदेश्वर मंदिर के बारे में बता दे की यह भव्यता, वास्तुशिल्प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वास्तुकला की अद्भुत शैली से निर्मित, ब्रहदीश्वर मंदिर में नंदी बैल की प्रतिमा है, और यह हिंदुओं के बीच बड़ा पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे एक ही चट्टान के टुकड़े से बनाया गया है, और इसका वजन लगभग 25 टन है।
बृहदेश्वर मन्दिर जो देखने में बहुत ही सुन्दर मंदिर है। मंदिर की भव्यता व बड़े पैमाने पर इसकी स्थापत्य दीप्ति व शांति से प्रेरित होकर इसे 'महानतम चोल मंदिर' के रूप में भी जाना जाता है। यह अपने समय के विश्व के विशालतम संरचनाओं में गिना जाता था। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। यह मंदिर उत्कीर्ण संस्कृत व तमिल पुरालेख सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इस मंदिर के निर्माण कला की एक विशेषता यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती।
बृहदेश्वर मन्दिर लोगो के लिए यह पूरे देश में सबसे बेशकीमती वास्तु साइटों में से एक है। ऐसा कहा जाता है की यह मंदिर सामाजी, वित्तीय एवं राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। मंदिर में संगीत, नृत्य और कला को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न आयोजन किये जाते थे। सभी 3 मंदिर चोला वंश के द्वारा 10वी से 12वी शताब्दी में बनाए गए थे। और इन सभी मंदिरों में बहुत सी समानताएं हैं। तमिलनाडू में सबसे ज्यादा पर्यटक बृहदेश्वर मन्दिर आते हैं।
इस मंदिर के निर्माण का मुख्य उद्देश्य राजाराज चोल के आदेश का अनुपालन के साथ चोल साम्राज्य के सिंहासन अनुग्रह करने के लिए किया गया था। राजाराज चोल इस मंदिर के प्रवर्तक थे। यह मंदिर उनके शासनकाल की गरिमा का श्रेष्ठ उदाहरण है। ग्रेनाइट पत्थर काफी कठोर होता है और उस पर नक्काशी आसान नहीं है। लेकिन भारत में एक मन्दिर ऐसा भी है जो ग्रेनाइट से बना है और इसकी दीवार एवं छतों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। करीब सात साल में यह मन्दिर बनकर तैयार हुआ था। यह मन्दिर अपनी वास्तुकला के कारण विश्व विख्यात है।