चीनी का रौजा
चीनी का रौजा के बारे में बता दे की यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। ताज महल से 2 किलोमीटर दूर 'चीनी का रौजा' स्मारक है। इसका नामकरण इसमें मुख्य रूप से प्रयुक्त होने वाली रंगीन चीनी टाइल्स पर हुआ है। इस कला से निर्मित पुरे भारत में एकमात्र यही इमारत है, जो अभी तक संरक्षित है।
चीनी का रौजा की बात करे तो शुक्रुल्लाह ने खुद के लिए एक ऐसा मकबरा बनवाया था, जिसे देख कर शाहजहां भी चौक गए थे। ये आज भी मौजूद है। 1635 में निर्मित यह स्मारक यमुना नदी के किनारे पर है और एतमादुद दौला के मकबरे से एक किलोमीटर दूर है। इसे भारत में भारतीय व पर्सियन वास्तुशिल्प शैली से बना ऐतिहासिक स्थल होने का गौरव प्राप्त है। राजकिशोर राजे कहते हैं कि शुक्रुल्लाह शिराजी अफजल खां 'अल्लामी' ईरान के शिराजी का रहने वाला था। वो विद्वान लेखक और कवि था। उसकी मौत 1639 में लाहौर में हो गई थी । उसके पार्थिव शरीर को आगरा लाया गया और मकबरे में दफ़न कर दिया गया ।
इस मकबरे की सबसे बड़ी खासियत इसकी अफगान शैली में बनी गोल गुम्बद है, जिसपर पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए है। मकबरे का बीच का हिस्सा एक अष्टभुज आकृति है। जिसमे आठ वक्राकार गुफाएं हैं ।