6 Jan 2017

Tourist Place | Tamil Nadu, Ramanathaswamy temple

रामनाथस्‍वामी मंदिर



about Ramanathaswamy temple
रामनाथस्‍वामी मंदिर के बारे में रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे | रामनाथस्‍वामी मंदिर के बारे में बता दे की यह हिंदुओं का एक पवित्र स्थल है। और यह कोई साधारण म‍ंदिर नहीं है, यह धर्म और आस्‍था की मिसाल है। पूरे शहर में इसका सबसे ज्‍यादा धार्मिक महत्‍व है। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में से एक है। इसके अलावा यहां स्थापित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इस ज्योतिर्लिग के विषय में यह मान्यता है, कि इस ज्योतिर्लिग की स्थापना स्वयं हनुमान प्रिय भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामनाथस्‍वामी दिया गया है।

रामनाथस्‍वामी मंदिर के बारे में और जानते है | यह तमिलनाडु राज्य के रामेश्‍वरम ज़िले में स्थित है। भारत के उत्तर मे काशी की जो मान्यता है, वही दक्षिण में रामेश्‍वरम की है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ है। इससे पहले यह द्वीप भारत की मुख्य भूमि के साथ जुड़ा हुआ था। लेकिन बाद में सागर की लहरों ने इसे मिलाने वाली कड़ी को काट डाला, जिससे वह चारों ओर पानी से घिरकर टापू बन गया।

विशाल मंदिरों के बारे में रोचक बात यह है कि अपने लंबे अलंकृत गलियारों, टावरों और 36 theerthams के लिए जाना जाता है। यह एक सुंदर शंख आकार की द्वीप है। यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व एक पत्थरों के सेतु का निर्माण करवाया था, जिसपर चढ़कर वानर सेना लंका पहुंची। और वहां विजय पाई। बाद में राम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुषकोटि नामक स्थान पर यह सेतु तोड़ दिया था। आज भी इस 48 किलोमीटर लंबे आदि-सेतु के अवशेष सागर में दिखाई देते हैं।

रामनाथस्‍वामी मंदिर के बारे में और जानते है | मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप जहां भगवान् राम का लोक-प्रसिद्ध विशाल मंदिर है | रामनाथस्‍वामी मंदिर चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है। मंदिर के मुख्य देवता रामनाथस्वामी है, जो यहाँ शिवलिंग के रूप में विराजमान्य है। मंदिर की गर्व गृह में दो शिवलिंग है - पहला रेत से बना शिवलिंग जिसका निर्माण सीता जी ने किया था, और जिसे मुख्य देवता रामलिंग के रूप में माना जाता है। और दूसरा विश्वलिंग, जिसको हनुमान जी कैलाश पर्वत से लाये थे।  राम जी ने कहा था कि सबसे पहले विश्वलिंग की पूजा की जायेगी। क्योंकि इसे भगवान् हनुमान लाये थे। और आज भी इस प्रथा का पालन किया जाता है। 

इस मंदिर को लगभग 12 वीं सदी में स्‍थापित किया गया था। इस मंदिर की स्‍थापत्‍य कला काफी प्राचीन है जो इसे संगमरमर से बनाया गया है। हर साल लाखों की संख्‍या में भक्‍त इस मंदिर में दर्शन करने आते है। यहां के मंदिर के तीसरे प्राकार का गलियारा, विश्व का सबसे लंबा गलियारा है। जिस स्थान पर यह टापु मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ था। वहां इस समय ढाई मील चौड़ी एक खाड़ी है। शुरू में इस खाड़ी को नावों से पार किया जाता था। आज से लगभग चार सौ वर्ष पहले कृष्णप्पनायकन नाम के एक राजा ने उस पर पत्थर का बहुत बड़ा पुल बनवाया।

लेकिन कुछ समय बाद पुराना पत्थर का पुल लहरों की टक्कर से हिलकर टूट चुका था। एक जर्मन इंजीनियर की मदद से उस टूटे पुल का रेल का एक सुंदर पुल बनवाया गया। इस समय यही पुल रामेश्वरम् को भारत से रेल सेवा द्वारा जोड़ता है। यह पुल पहले बीच में से जहाजों के निकलने के लिए खुला करता था।


रामनाथस्‍वामी मंदिर की बात करे तो, रामेश्‍वरम का सबसे प्रमुख पर्यटन स्‍थल है। यहाँ हर साल लाखो पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहाँ घूमने के लिए बहुत अच्छी जगह है। इस स्थान पर दक्षिण से उत्तर की और हिंद महासागर के तरफ बहता पानी दिखाई देता है। शांत बहाव को देखकर यात्रियों को ऐसा लगता है, मानो वह किसी बड़ी नदी को पार कर रहे हों। रामनाथस्‍वामी मंदिर कुल मिला जुला कर घूमने के लिए अच्छी जगह है |