27 Jul 2016

Tourist Place | Delhi, Red Fort

लाल किला



Delhi-Red-Fort
लाल किला के बारे में बता दे की यह भारत की राजधानी दिल्ली के पुरानी दिल्ली में स्थित है। इस किले की बुनियाद 1639 में रखी गई थी। इसके निर्माण में नौ वर्ष का समय लगा था। इसके निर्माण के लिए ज्यादातर लाल पत्थरो का इस्तेमाल किये जाने के कारण ही इसे 'लाल किला' नाम दिया गया।

लाल किला को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखो पर्यटक आते है। लाल किला दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटक स्थल है। यह किला वह स्थल है जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं । यह दिल्ली का सबसे बड़ा स्मारक भी है।

लाल किला के बारे में और जानते हैं | इसी किले के प्राचीर पर 90 वर्ष तक यूनियन जैक लहराता रहा और 15 अगस्त 1947 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा फहराकर देश की आजादी का ऐलान किया।1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। 22 दिसम्बर 2003 को भारतीय सेना ने 56 साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। इस समारोह में रक्षा मंत्री जॉज फर्नांडीस ने कहा कि सशस्त्र सेनाओ का इितहास लाल किले से जुड़ा हुआ है, पर अब हमारे इितहास और विरासत के एक पहलू को दुिनया को दिखाने का समय है।

लाल किला की बात करे तो यहाँ की कलाकृतियाँ फ़ारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का संश्लेषण है जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। लाल किला दिल्ली की महत्त्वपूर्ण ईमारत समूह है। जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओ को अपने में समेटे हुए है। इसका महत्त्व समय की सीमाओ से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बन्धी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतिक है।

लाल किला की खूबसूरती की बात करे तो इसकी दीवारों को काफी खूबसूरती से तराशी गई है। इसके दो मुख्य द्वार दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट है। लाहौर गेट इसका मुख्य प्रवेशद्वार है। इसके अंदर एक लम्बा बाजार है, जिसकी दीवारे दुकानों से कतारित हैं । इसके बाद एक बड़ा खुला मैदान है |

इसके अलावा बता दे की लाहौर गेट से चट्टा चौक तक आने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्व ओर नक्करखाना बना है। यह संगीतज्ञों हेतु बने महल का मुख्य द्वार है। इस गेट के पार एक और खुला मैदान है, जो कि मूलतः दीवाने-ए-आम का प्रांगण हुआ करता था। दीवान-ए-आम। यह जनसाधारण हेतु बना वृहत प्रांगण था। एक अलंकृत सिंहासन का छज्जा दीवान की पूर्वी दीवार के बीचों बीच बना था। यह बादशाह के लिए बना था और सुलेमान के राज सिंहासन की नकल ही था।

लाल किला के बारे में और जानते हैं | राजगद्दी के पीछे की ओर शाही निजी कक्ष स्थापित है। इस क्षेत्र में, पूर्वी छोर पर ऊँचे चबूतरों पर बने गुम्बददार इमारतों की कतार है, जिनसे यमुना नदी का किनारा दिखाई पड़ता है। ये मण्डप एक छोटी नहर से जुड़े हैं, जिसे नहर-ए-बिहशत कहते है, जो सभी कक्षो के मध्य से जाती है। किले के पूर्वोत्तर छोर पर बने शाह बुर्ज पर यमुना से पानी चढाय़ा जाता है, जहाँ से इस नहर को जल आपूर्ति होती है। इस किले का परिरुप कुरान में वर्णित स्वर्ग या जन्नत के अनुसार बना है। यहाँ लिखी एक आयत कहती है,

यदि पृथ्वी पर कहीं जन्नत है, तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है।

लाल किला के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में बता दे की महल की योजना मूलरूप से इस्लामी रूप में है, परंतु प्रतेयक मंडप अपने वास्तु घटको में हिन्दू वास्तुकला को प्रकट करता है। लालिकले का प्रासाद, शाहजहानी शैली का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है। महल के दो दक्षिणवर्ती प्रासाद मिहलाओं हेतु के लिए बने हैं, जिन्हें जनाना कहते हैं: मुमताज महल, जो अब संग्रहालय बना हुआ है, एवं रंग महल, जिसमे सुवर्ण मण्डित नक्काशीकृत छतें एवं संगमरमर से बने हैं, जिसमे नहर-ए-बहिश्त से जल आता है।

इसके अलावा जानने  के लिए बहुत कुछ है जैसे में लाल किला के अंदर दक्षिण से तीसरा मंडप है खास महल। इसमें शाही कक्ष बने है। इनमे राजसी शयन-कक्ष, प्रार्थना-कक्ष, एक बरामदा और मुसम्मन बुर्ज बने है। इस बुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे। अगला मंडप है दीवान-ए-खास, जो राजा का मुक्तहस्त से सुसज्जित निजी सभा कक्ष था। यह सचिवीय एवं मंत्रिमंडल तथा सभा में बैठको के काम आता था इस मंडप में पीट्रा ड्यूरा से पुष्पीय आकृित से मण्डित स्तंभ बने है।  इनमे सुवर्ण पर्त् भी मढी है, तथा बहुमूल्य रत्न जड़े है। इसमें अब रजत पर सुवर्ण मंडान किया गया है।

अगला मंडप के बारे में बता दे की हमाम है जो कि राजसी स्नानागार था, एवं तुर्की शैली में बना है। इसमे संगमर्मर में मुग़ल अलंकरण एवं रंगीन पाषाण भी जड़ें हैं। हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद बनी है। यह 1659 में, बाद में बनाई गई थी, जो औरंगज़ेब की निजी मस्जिद थी। यह एक छोटी तीन गुम्बद वाली, तराशे हुए श्वेत संगमरमर से निर्मित है। इसका मुख्य फलक तीन मेहराबो से युक्त है, एवं आंगन में उतरता है। जहाँ फुलो का मेला है |

इसके उत्तर में एक वृहत औपचारिक उधान है जिसे हयात बख्श बाग कहते है। इसका अर्थ है जीवन दायी उद्यान। यह दो कुल्याओं द्वारा द्विवभाजित है। एक मंडप उत्तर दक्षिण कुल्या के दोनो छोरों पर स्थित है एवं एक तीसरा बाद में अंतिम  मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 1842 बनवाया गया था। यह दोनो कुल्याओं के मिलान स्थल के केंद्र में बना है।

लाल किला की बात करे तो इसकी खूबसूरती बहुत ही लाजवाब है | यहाँ घूमने के लिए हर दिन हजारो की तादाद में लोग आते है | लाल किला के अंदर जाने के लिए entry fees लगती है | इसके अलावा यहाँ से 500 मीटर की दुरी जामा मस्जिद हैं यहाँ आने के इन दोनों जगहों को आसानी से घूम सकते है | इसके अलावा ख़ास बात ये है की मार्केटिंग करने के लिए बहुत अच्छी जगह है |