24 Nov 2016

Biography of Indira Gandhi-Famous People

इंदिरा गाँधी



Indira-Gandhi-Famous-Peopleइंदिरा गाँधी, भारत की तीसरी प्रधानमंत्री थी। वह एक अकेली प्रथम महिला थी जो भारत की प्रधानमंत्री बनी। इंदिरा गाँधी का बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था। इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को  इलाहाबाद में हुआ था। इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में एक शहर है। उनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरु था। जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी नेता थे। उनकी माता का नाम कमला नेहरु था।  और उनके दादा का नाम पंडित मोतीलाल नेहरु था। जवाहरलाल और मोतीलाल दोनों सफल वकील थे और दोनों ने ही स्वतंत्रता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इंदिरा गाँधी का नाम उनके दादा पंडित मोतीलाल नेहरु ने रखा था। 

इंदिरा गाँधी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से काफी संपन्न था। वह जवाहरलाल नेहरु जी की एकमात्र संतान थी, जो भारत की आज़ादी के बाद सर्व प्रथम प्रधान मंत्री बनी और वह भी एक महिला। बचपन मे ही इंदिरा गाँधी के चेहरे पर एक अलग सा नूर तथा आँखों में एक गहरी चमक थी। बचपन से ही इनका झुकाव राजनीति की तरफ था। वे बचपन से ही बहुत ही चालाक और पढाई में बहुत ही बुद्धिमान थी। इन्दिरा गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उसके बाद आगे की शिक्षा पाने के लिए वह इंग्लैंड चली गयी।

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे भारत लौटी और वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयी। अपनी छोटी आयु में ही इंदिरा गाँधी ‘अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की सदस्य बन गयी। 1936 में, उनकी माता जी कमला नेहरु की मृत्यु के बाद उन्हें जो भी आगे की शिक्षा मिली अपने पिता से मिली और पॉलिटिक्स का ज्ञान भी उस समय के कुछ महान नेताओं से मिला। 1942 में इंदिरा गांधी का प्रेम विवाह फिरोज गांधी से हुआ। पारसी युवक फिरोज गांधी से इंदिरा की मुलाकात ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यावय में ही पढ़ाई के दौरान हुई थी जो उस समय लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। शादी के बाद 1944 में उन्होंने राजीव गांधी और इसके दो साल के बाद संजय गांधी को जन्म दिया। और 8 सितंबर 1960 को जब इंदिरा अपने पिता के साथ एक विदेश दौरे पर गई हुईं थीं तब फिरोज गांधी की मृत्यु हो गई।   

इंदिरा गाँधी को 1959 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उनकी पिता की मृत्यु के बाद उन्हें बहुत बड़ा दुख पहुंचा। अपने पिता की मौत के बाद इंदिरा गांधी को सुचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया। उसके बाद लाल बहादुर शाष्त्री प्रधानमंत्री बने, और 1966 में शाश्त्री की मौत के बाद उन्हें कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद के लिए चुना। 24 जनवरी, 1966 को इंदिरा गाँधी ने प्रधानमंत्री पद का शपथ ग्रहण किया। ये भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी जो की भारत वर्ष की हर महिला के लिए एक बहुत गौरव की बात थी। इंदिरा गाँधी लगातार 3 बार भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री थी , और उसके बाद चौथी बार में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। 1984 में उनके कुच्छ सिख अंगरक्षकों नें उनकी हत्या कर दी।

इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री मंत्री बनने के बाद एक अच्छे नेता बनकर उभरी। इंदिरा गाँधी ने गरीबो और पिछड़े वर्गों के उद्धार के लिए 20-सूत्रीय कार्यक्रम बनाया। बैंको का राष्ट्रीयकरण किया। अनाज के क्षेत्र में भारत को आत्म निर्भय बनाया। इन्होंने वातावरण के प्रदूषण से मानव जाति को बचाने का भरसक प्रयास किया। उस समय कई कार्यक्रमों और किसानो के लिए प्रोग्राम तैयार किये जो सफल भी हुए। सन 1969 में कांग्रेस का विभाजन हो गया।

जुलाई 1969 में इंदिरा ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। इंदिरा गांधी मार्च 1971 पांचवें आम चुनाव के दौरान “गरीबी हटाओ” (गरीबी खत्म करने) के नारे पर जमकर प्रचार किया और एक अभूतपूर्व दो-तिहाई बहुमत से जीता। उसके नेतृत्व के गुणों को बांग्लादेश की मुक्ति में हुई है। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ जिसमे पाकिस्तानी सेना ने समपर्ण कर दिया। पाकिस्तान पर भारत की जीत के बाद इंदिरा गांधी काफी लोकप्रिय हुई। और इंदिरा गांधी की वजह से बंगलादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। इंदिरा नें पाकिस्तानी राष्ट्रपति को 7 दिन के शिखर बैठक के लिए शिमला आमंत्रित किया। आखिर में दोनों नेताओं नें समझौता किया और हस्ताक्षर किये, शांतिपूर्ण तरीके से कश्मीर के मसले को सुलझाने की।

16 वर्ष तक देश की प्रधानमंत्री रहीं, इंदिरा गांधी के शासनकाल में कई उतार-चढ़ाव आए। लेकिन 1975 में आपातकाल 1984 में सिख दंगा जैसे कई मुद्दों पर इंदिरा गांधी को भारी विरोध-प्रदर्शन और तीखी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी थी। 31 अक्‍तूबर 1984 को उन्हें अपने अंगरक्षक की ही गोली का शिकार होना पड़ा और वह देश की एकता और अखंडता के लिए कुर्बान हो गईं। 1980 में उसके छोटे बेटे संजय गांधी एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। संजय गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गांधी को नेता के लिए चुना गया।